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मंगल दोष पूजा

मंगल दोष की पूजा पंडित उमेश गुरुजी के दुवारा

अगर किसी ज्योतिषी ने या जानकार ने आपकी कुंडली में मंगल दोष होने की बात कही है तो घबराएं नहीं. उससे बचने का उपाय है और वाे भी बहुत आसान. जानिये क्या है उपाय

  • मंगल दोष का उचित निवारण के लिए उज्जैन आए।
  • उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के अंगारेश्वर मंदिर पर निवारण होता है।
  • लाल किताब के 'मूल ग्रन्थ' के अनुसार मंगल चौथे और आठवें भाव में अशुभ होता है, शेष 1, 2, 3, 5, 6, 7, 9, 10, 11, 12 वें भाव में शुभ फल प्रदान करता है। यदि मंगल किसी भवन में अकेला बैठा है तो जातक चिड़ियाघर के कैदी की भाँति होता है।

मांगलिक दोष क्या है ?

प्रायः विवाह के अवसर पर वर-वधू को कुण्डली का मिलान करते समय यह 'मंगलीक दोष' क्या है ? क्यों इसका विशेष रुप से विचार करते हैं। मंगलीक दोष होने से अथवा न होने से जातक को क्या हानि-लाभ होता है- प्रस्तुत इस 'मंगलीक दोष' प्रकरण में इसके विषय में चर्चा करते हैं। मंगल पाप ग्रह है। जब यह लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में स्थित हो तो उस भाव पर इसका जो कुप्रभाव (बुरा असर) होता है उसे 'मंगल-दोष' कहते हैं तथा जिस जातक पर प्रभाव होता है। उस जातक को 'मंगलीक' कहते हैं। कुण्डली के 1, 4, 7, 8 और 12 वें भाव के अन्तर्गत 'मंगल कितना मंगलीक' का विचार किया जाता है । प्रथम भाव से शरीर, चतुर्थ भाव से सुख, सप्तम भाव से काम विचार (पति-पत्नी सुख) तथा अष्टम भाव से मृत्यु का विचार किया जाता है। जातक के जीवन में आने वाली मुसीबतों का भी विचार इसी भाव से करते हैं। द्वादश भाव से व्यय, हानि आदि का विचार करते हैं। जातक के लिए मंगल कितना मंगलीक है' का विचार, चर्चा इस पुस्तक में आगे चलकर करेंगे। प्रस्तुत पुस्तक में 'मंगलीक-योग' के विषय में लिख रहे हैं। प्रस्तुत अध्याय को पाठकगण विशेष ध्यान देकर पढ़ें- यदि जातक की कुण्डली के चतुर्थ भाव में मंगल की दृष्टि पड़े तो जातक को भौतिक सुख कम प्राप्त होता है। सप्तम भाव में मंगल की दृष्टि हो तो पारिवारिक सुख में कमी होती है। आठवें भाव में मंगल की दृष्टि पड़ने पर जातक के जीवन में अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएँ उपस्थित होती है। द्वादश भाव में मंगल की दृष्टि व्यय अधिक होता है जिसके कारण जातक चिन्तित रहता है।


मंगल/मांगलिक दोष समाप्त होने का समय-

प्राय: 28 वर्ष पश्चात् जातक पर 'मंगलीक दोष' समाप्त हो जाता है। इसके अलावा निम्न स्थितियों में 'मंगलीक दोष' समाप्त हो जाता है।

1.मेष राशि का मंगल लग्न में, वृश्चिक राशि का चतुर्थ भाव में, मकर राशि का सप्तम भाव में, कर्क राशि का अष्टम भाव में, धनु राशि का द्वादश भाव में हो तो मंगलीक दोष नगण्य हो जाता है।

2. वर-वधू (विवाह के लिए) की कुण्डली मिलाते समय 1, 4, 7, 8 अथवा 12वें भाव में शनि स्थित हो तो 'मंगलीक दोष' समाप्त हो जाता है।

3.कुण्डली के द्वितीय भाव में चन्द्र + शुक्र की युति हो, केन्द्र में चन्द्र + मंगल की युति हो अथवा गुरु मंगल को पूर्ण दृष्टि से देखता हो।

4.मेष या वृश्चिक का मंगल चतुर्थ भाव में, कर्क या मकर का मंगल सप्तम भाव में, मीन का मंगल अष्टम भाव में तथा मेष या कर्क का मंगल व्यय भाव में स्थित हो।

5.बली गुरु शुक्र की राशि या अष्टम भाव में हो तथा सप्तमेशं बलवान होकर केन्द्र अथवा त्रिकोण में हो।

6. वर-कन्या में से किसी एक की कुण्डली में मंगलीक योग हो तथा दूसरे की कुण्डली में मंगल योग कारक भाव में कोई पाप ग्रह स्थित हो तो 'मंगलीक दोष' शून्य हो जाता है।


लाल किताब के मतानुसार मंगल के शुभ-अशुभ के भाव-

लाल किताब के 'मूल ग्रन्थ' के अनुसार मंगल चौथे और आठवें भाव में अशुभ होता है, शेष 1, 2, 3, 5, 6, 7, 9, 10, 11, 12 वें भाव में शुभ फल प्रदान करता है। यदि मंगल किसी भवन में अकेला बैठा है तो जातक चिड़ियाघर के कैदी की भाँति होता है।


मंगल/मांगलिक दोष निवारण के उपाय-

मेष लग्न में मंगलीक मेष लग्न का जातक मंगलीक हो तो निम्नलिखित उपाय करके सुखद जीवन व्यतीत कर सकता है।

1. लाल रुमाल अपने पास रखें।

2. तंदूर में मीठी रोटी पकाकर कुत्ते को खिलाये।

3. चाँदी के कड़े में लोहे की कील लगवाकर धारण करे।

4. दक्षिण दिशा के द्वार वाले मकान में न रहे।

5. ताँबे अथवा सोने की अंगूठी में साढ़े पाँच रत्ती मूंगा जड़वा कर धारण करे। नकली मूंगा हानिकर सिद्ध होगा।

6. किसी कंवारी कन्या को मीठा खिलाये। बहन को भी मीठा खिलायें।


शासकीय संस्कृत महाविधायल से उपाधि प्राप्त पंडित उमेश गुरुजी से आज अपनी कुंडली दिखाये ओर मंगल दोष के बारे मे अधिक जाने व उसका निवारण पूरे विधि विधान से उज्जैन मे करवाए, अपनी पूजा के लिए कॉल करे 08305753846 पर ।