मुख्य पूजा
Kalsarp Dosh Puja
कालसर्प दोष पूजा को कालसर्प योग भी कहा जाता है। कालसर्प पूजा तब होती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं|कालसर्प हानि, दुविधा, बाधा को सूचित करता है. कुंडली में कालसर्प होने से कितने लोगो को कष्ट हुवा है|कालसर्प पूजा उज्जैन दोष निवारण के लिए की जाने वाली पूजा व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी की जा सकती है|
Mangal Dosh Puja
मंगल पूजा उज्जैन तब की जाती है जब व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं होती हैं। मंगलनाथ मंदिर इस पूजा के लिए प्रसिद्ध है. यह मंगल ग्रह के साथ जुड़ा हुआ है। मंगल आत्म-सम्मान, स्वभाव, अहंकार और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है।विवाह पर इसका प्रभाव समस्याएं ही बढ़ाता है, मंगल पूजा कर के यह दोष दूर किया जाता है|
Pitra Dosh Puja
पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है.अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि से अंतिम संस्कार न किया जाए तो पितृदोष होता है, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति के परिवार को कई पीढ़ियों को तक पितृदोष के परिणाम झेलने पड़ते है| इससे मुक्ति के लिए पितृदोष पूजा उज्जैन की जाती है|
गुरूजी का परिचय
पंडित उमेश गुरुजी
काल सरप पूजा विशेषज्ञ होने के नाते गुरुजी को 14 वर्षो का अनुभव कालसरप पूजा आयोजित करने में प्राप्त है, क्योंकि गुरुजी ने आज तक बहुत सारे शांति पूजा की सीमा पार कर दी है, और सभी (यज्ञ) शांति या पूजा विधि के बाद तुरन्त उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करते हैंं।
पंडित उमेश गुरूजी की जन्म भूमि महाकाल की नगरी उज्जैन(अवंतिका)है।पंडित जी को बाल काल से ही पंडिताई एवं दोष निवारण पुजा मे रूचि थी।पंडित जी के पिताजी एवं दादाजी भी यही कर्म करते थे,ओर वो भी गृह रहस्य एवं दोष निवारण के वेदिक पद्धति का ज्ञान गुरूजी के पास सिद्धस्त है।जिसके फलस्वरूप आज गुरूजी तुरंत उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करते है ओर जो भी यजमान की बाधा ,कष्ट ,पीड़ा ,रोग ,दोष होते है ।गुरूजी कहते है कि जो यजमान पुजा कराने आये बिल्कूल,सच्चे मन से ,श्रद्धा से ,भाव से,पुजन करे तो ही उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होगा नाकी तर्क-वितर्क करने से।
- कालसर्प शांति करने से 9 विभिन्न प्रकार के सांपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है। नाग की सोने की मूर्ति की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के अंगारेश्वर मंदिर पर निवारण होता है।
- पितृदोष की पूजा पूरी विधि विधान से साथ उज्जैन मे करवाए।उज्जैन में पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है।
हम पंडित उमेश शाश्त्री उज्जैन में कालसर्प योग का ओर सभी प्रकार की पूजा का वैदिक पद्ति द्वारा निवारण करते है ओर जीवन मे आने वाली सभी समस्याओं का निवारण ईस्ट देव बाबा बड़ली भैरव एवं माँ बगलामुखी की असीम कृपा से करते है|
शासकीय संस्कृत महाविधायल से उपाधि प्राप्त पंडित उमेश गुरुजी से आज अपनी कुंडली दिखाये ओर कालसर्प दोष के बारे मे अधिक जाने व उसका निवारण पूरे विधि विधान से उज्जैन मे करवाए, अपनी पूजा के लिए कॉल करे 08305753846 पर ।
कालसर्प की पूजा पंडित उमेश गुरुजी के दुवारा
अगर किसी ज्योतिषी ने या जानकार ने आपकी कुंडली में कालसर्प दोष होने की बात कही है तो घबराएं नहीं. उससे बचने का उपाय है और वाे भी बहुत आसान. जानिये क्या है उपाय
- कालसर्पयोग का विधान भारत मे दो जगह पर होता है नासिक ओर उज्जैन |
- उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के तट पर निवारण होता है।
- कालसर्प शांति करने से 9 विभिन्न प्रकार के सांपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है। नाग की सोने की मूर्ति की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
विशेष जानकारी
हमारी सेवाए
महामृत्युंजय जाप
यह एक मंत्र है जिसे पुनर्जीवित करने के लिए कहा जाता है, स्वास्थ्य, धन, एक लंबा जीवन, शांति, समृद्धि और संतुष्टि प्रदान करता है। प्रार्थना भगवान शिव को संबोधित किया जाता है। इस मंत्र का जप करके, दिव्य वाइब्रेशन उत्पन्न होते हैं, जो सभी नकारात्मक और दुष्ट सेनाओं को बंद करते हैं और एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक ढाल बनाते हैं।पंडितजी ने कई लोगोंको महामृत्युंजय जप पूजा करके लाभ दिलवाये है|
अर्क/कुंभ विवाह
जिन पुरुषो की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों। अथवा मंगलदोष हो अर्थात वर की कुंडली में १,२,४,७,८,१२ इन भावों में मंगल हो तो यह वैवाहिक विलंब, बाधा एवं वैवाहिक सुखों में कमी करने वाला योग होता है, ऐसे पुरुषो के माता पिता या अन्य स्नेही सम्बन्धी जनको को उस वर का विवाह पूर्व अर्क विवाह करवाना चाहिए।
नव ग्रह शांति
नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु हैं।नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु हैं।
रुद्राभिषेक पूजा
भक्तो के लिए भगवान शिव के अनंत नाम है उन्ही नामों में से एक प्रसिद्ध नाम है 'रूद्र'। और भगवान शिव का रूद्र रूप का अभिषेक ही रुद्राभिषेक कहलाता है, इस पूजन में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर पूजा और अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजन के शक्तिशाली रूपों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव अत्यंत उदार भगवान है और बहुत ही आसानी से भक्तो से प्रसन्न हो जाते हैं।
शनि पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष फल मिलता है। भगवान शिव अपने भक्तों के सुख-दुख का पूरा ध्यान रखते हैं। सावन में शिव पूजा से शनि के प्रकोप से भी बचा जा सकता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने शनि देव को न्याय और कर्मफल का देवता बताया है। राणों के अनुसार, शनि देव भी भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिवजी की पूजा करके हम शनि देव की कुदृष्टि से बच सकते हैं।
वास्तु दोष
वर्तमान समय में मनुष्य के जीवन में उसके घर, कार्यालय एवं व्यावसायिक प्रतिस्थान का उसके जीवन में विशेष महत्त्व है, लेकिन कई बार स्थान के आभाव या दिशाओ की जानकारी न होने के कारण कुछ निर्माण देखने में बहुत सुन्दर प्रतीत होते है लेकिन वह किसी किसी के लिए लाभकारी सिद्द नहीं होते है|
पंडित उमेश गुरूजी दुवारा कि गई सभी पुजाये अर्थात कालसर्प दोष पूजा,मंगल भात पूजा,पितृ दोष पूजा,महामृत्युंजय जाप,अर्क/कुंभ विवाह,नव ग्रह शांति,बगलामुखी माता पुजा एवं विशेष संतान प्राप्ति का उत्कृष्ट परिणाम तुरंत प्राप्त होता है।